एक समय की बात है, एक नगर में एक राजा राज्य करता था जिसका नाम चंद्रहास था। उसके पास सब कुछ था, लेकिन संतान सुख नहीं था। एक दिन, उसने एक तपस्वी से मिलकर अपनी समस्या बताई। तपस्वी ने उससे कहा कि अगर तुम वैशाख पूर्णिमा का व्रत करो तो तुम्हें संतान सुख प्राप्त होगा।
राजा ने तपस्वी के कहने पर व्रत रखना शुरू किया। कुछ समय बाद, उसके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ। लेकिन तपस्वी ने चेतावनी दी कि यह पुत्र सिर्फ 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। राजा और रानी ने पुनः तपस्वी से सलाह ली, जिन्होंने कहा कि अगर तुम हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा का व्रत करते रहो तो तुम्हारा पुत्र दीर्घायु होगा। राजा-रानी ने निष्ठा से व्रत किया और उनका पुत्र लंबी आयु तक जीवित रहा।
यह कथा दिखाती है कि वैशाख पूर्णिमा का व्रत (Vaishakha Purnima Vrat )करने से संतान सुख, दीर्घायु और समृद्धि प्राप्त होती है।
वैशाख पूर्णिमा कब है? When is Vaishakha Purnima?
वैशाख पूर्णिमा 2025 में 12 मई, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु की पूजा, सत्यनारायण व्रत, और दान-पुण्य के लिए पवित्र माना जाता है।
वैशाख पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का महत्व
वैशाख पूर्णिमा Vaishakha Purnima पर दान और पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग गाय, भूमि, कपड़ा, अन्न, सोना, चांदी और जल का दान करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन दिया गया दान कई गुणा फल देता है और जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति दिलाता है। जिसे जो संभव हो, उस अनुसार किसी गरीब या ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
यह भी माना जाता है कि इस दिन जल दान करने से जीवन में कभी किसी तरह की ताप या कष्ट नहीं आता। इसलिए कई लोग मटका, सुराही या जल से भरे घड़े दान में देते हैं। इससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
वैशाख पूर्णिमा Vaishakha Purnima और गंगा स्नान
वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। यह दिन गंगा स्नान के लिए सबसे पवित्र तिथियों में से एक है। जो लोग गंगा स्नान नहीं कर सकते, वे घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
स्नान के बाद भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध को स्मरण करके पूजा करनी चाहिए। साथ ही, सात्विक भोजन और व्रत का पालन करना चाहिए।
वैशाख पूर्णिमा व्रत के लाभ (Benefits Of Vaishakha Purnima Vrat)
इस व्रत को रखने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
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जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
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पापों का क्षय होता है।
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पितरों की शांति के लिए यह व्रत लाभदायक है।
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मन और शरीर दोनों में शुद्धता आती है।
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मनोकामना पूर्ण होती है।
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आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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युवाओं के लिए यह व्रत मन और शरीर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
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यह व्रत आपके कर्मों को शुद्ध करता है और अच्छे फल देता है।
वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा ( Vaishakha Purnima and Buddha Purnima)
वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्होंने बोधि प्राप्त की थी। इसलिए इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी दिन विशेष पूजा और ध्यान का आयोजन करते हैं।
बोधगया में इस दिन विशेष समारोह होता है जहाँ लोग गौतम बुद्ध के चरित्र और उपदेशों को याद करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा एक ऐसा अवसर है जब हमें अहिंसा, दया, करुणा और सत्य जैसे गुणों को अपनाना चाहिए।
वैशाख पूर्णिमा के दिन क्या न करें?
वैशाख पूर्णिमा के दिन हम पूजा पाठ, दान पुण्य तो करते ही है लेकिन कुछ बातें जिनका हमें बहुत ध्यान रखना चाहिए जाने-
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निंदा, झूठ, चुगली या किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न करें।
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मानसिक अशुद्धता से दूर रहें।
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अन्याय या किसी का अपमान न करें।
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भोग-विलास और अधिक खाने से बचें।
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मद्य सेवन और अहिंसा से संबंधित कर्मों से दूरी बनाए रखें।
वैशाख पूर्णिमा पूजन विधि
जानिए वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा कैसे करनी चाहिए -
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स्नान और शुद्धिकरण: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान करें।
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पूजा स्थल की तैयारी: स्वच्छ स्थल पर भगवान विष्णु या सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें।
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पूजन सामग्री: पंचामृत, फूल, तुलसी पत्ते, दीपक, अगरबत्ती, चंदन, रोली, अक्षत, फल, मिठाई आदि।
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पूजा और अभिषेक: भगवान का पंचामृत से अभिषेक करें और विधिपूर्वक पूजा करें।
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सत्यनारायण कथा: पूजा के बाद सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें।
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आरती और प्रसाद: आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
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दान: ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करें।
पूजन सामग्री
वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा के लिए इस्तेमाल किये जाने वाली इस पूजा सामग्री सामानों की जरुरत पड़ती है |
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गंगाजल या शुद्ध जल
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पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
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फूल, तुलसी पत्ते
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दीपक, अगरबत्ती
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चंदन, रोली, अक्षत
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फल, मिठाई
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लाल और पीला वस्त्र
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साबुत नारियल
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शंख, घंटी
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दक्षिणा के लिए सिक्के या नोट
व्रत के नियम और सावधानियां
क्या करें:
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स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूरे दिन व्रत रखें और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करें।
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भगवान विष्णु और सत्यनारायण की पूजा करें।
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दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।
क्या ना करें:
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मांसाहार और मद्य से दूर रहें।
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झूठ, चोरी और क्रोध से बचें।
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काले या गहरे रंग के वस्त्र न पहनें।
वैशाख पूर्णिमा Vaishakha Purnima आध्यात्मिक उत्सव
यह तिथि सिर्फ व्रत रखने या पूजा करने का अवसर नहीं, बल्कि अपने आप को अंदर से पवित्र करने का समय है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव है जिसमें व्यक्ति अपनी आत्मा को शुद्ध करता है, मन को शांत करता है और भगवान के चरणों में अपना समर्पण व्यक्त करता है।
यह व्रत और इस दिन की कथा हमें यह सिख देती है कि धर्म और सत्य का पालन करने से जीवन में कैसे रोशनी और प्रगति आती है। भक्ति और श्रद्धा से किया गया व्रत भगवान तक ज़रूर पहुँचता है।
वैशाख पूर्णिमा व्रत Vaishakha Purnima Vrat जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि आत्मिक शुद्धि और सामाजिक समरसता के लिए भी महत्वपूर्ण है।