Chhath Puja 2025 date and timings, नहाय खाय and सूर्योदय अर्घ्य rituals
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Chhath Puja 2025 Date: नहाय खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक, यहां पढ़ें छठ पूजा की तिथि और शुभमुहूर्त

Oct 22, 2025

छठ पूजा 2025 कब है? (Chhath Puja Kab Hai)

छठ पूजा (Chhath Puja) भारत के सबसे पवित्र और प्राचीन त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। वर्ष 2025 में छठ महापर्व 25 अक्टूबर (शनिवार) से शुरू होकर 28 अक्टूबर (मंगलवार) तक चलेगा। यह चार दिवसीय पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।

छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह एकमात्र ऐसा वैदिक पर्व है जिसमें डूबते और उगते दोनों सूर्य की आराधना की जाती है।

छठ पूजा 2025 की पूरी तिथि और शुभमुहूर्त (Chhath Puja Date)

छठ पूजा 2025 Start Date:

पहला दिन - नहाय खाय (Nahay Khay): 25 अक्टूबर 2025, शनिवार

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में आमतौर पर चावल, दाल, कद्दू की सब्जी शामिल होती है। इस दिन से ही पवित्रता और संयम का पालन शुरू हो जाता है।

दूसरा दिन - खरना छठ पूजा (Kharna Chhath Puja): 26 अक्टूबर 2025, रविवार

खरना के दिन व्रती पूरा दिन निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद तैयार करके पहले छठी मैया को अर्पित करते हैं, फिर परिवार में बांटते हैं। इसके बाद 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य (षष्ठी तिथि): 27 अक्टूबर 2025, सोमवार

यह छठ पूजा का मुख्य दिन होता है। षष्ठी तिथि की शुरुआत 27 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:04 बजे से होगी और समाप्ति 28 अक्टूबर 2025 को सुबह 07:59 बजे होगी। शाम को लगभग 05:40 बजे डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती घुटनों तक पानी में खड़े होकर बांस की सूप में ठेकुआ, फल, गन्ना और अन्य प्रसाद रखकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं।

चौथा दिन - उषा अर्घ्य और पारण (सप्तमी तिथि): 28 अक्टूबर 2025, मंगलवार

छठ पूजा का अंतिम दिन उषा अर्घ्य का होता है। सुबह लगभग 06:30 बजे उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण करते हैं और प्रसाद ग्रहण कर पारण करते हैं।

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है? (Chhath Puja Kyu Manaya Jata Hai)

छठ पूजा में भगवान सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा देवी (छठी मैया) की पूजा की जाती है, जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाली शक्तियां मानी जाती हैं। सूर्य देव को ऊर्जा, स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है।

पौराणिक महत्व:

ब्रह्मवैवर्त पुराण में छठी मैया की पूजा का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि सीता माता ने मुंगेर में छठ व्रत किया था, जिसके बाद छठी मैया ने उन्हें लव-कुश जैसे स्वस्थ पुत्रों का आशीर्वाद दिया।

महाभारत काल में भी छठ पूजा का जिक्र मिलता है। सूर्यपुत्र कर्ण ने अंग देश (भागलपुर, बिहार) में इस पूजा की शुरुआत की थी। महाभारत के अनुसार, पांडवों और द्रौपदी ने अपना खोया हुआ राज्य वापस पाने के लिए छठी मैया की पूजा की थी।

वैज्ञानिक महत्व:

वैदिक काल में ऋषि-मुनि इस विधि से सूर्य की किरणों से सीधे ऊर्जा प्राप्त करते थे। छठ पूजा शरीर को सौर ऊर्जा से जोड़ने, शुद्धिकरण और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने का माध्यम माना जाता है।

छठ पूजा सामग्री लिस्ट (Chhath Puja Samagri List)

छठ पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

प्रसाद सामग्री:

  • ठेकुआ - गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बना पारंपरिक मिठाई

  • गुड़ की खीर (रसिया)

  • केला, नारियल, सिंघाड़ा, संतरा, सेब

  • गन्ना (4-5 डंडे)

  • अदरक, हल्दी की गांठ

  • मूली, शकरकंद

  • चावल के लड्डू

पूजा सामग्री:

  • बांस की सूप (2-3)

  • दीपक और घी

  • धूप-अगरबत्ती

  • कुमकुम, सिंदूर, चंदन

  • नारियल

  • सुपारी

  • लाल कपड़ा (चुनरी)

  • कलश

  • दूध

  • गंगाजल

  • फूल और माला

  • माचिस

खरना प्रसाद के लिए:

  • चावल

  • दूध

  • गुड़

  • गेहूं का आटा

  • घी

छठ पूजा की खास बात यह है कि इसमें प्रकृति से मिली हर चीज का उपयोग होता है और सब कुछ सात्विक, हस्तनिर्मित और पवित्रता का प्रतीक होता है।

छठ पूजा की विधि (Chhath Puja Vidhi)

पहला दिन (नहाय-खाय):

  1. सुबह पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें

  2. घर और रसोई को साफ करें

  3. सात्विक भोजन बनाएं (बिना प्याज-लहसुन के)

  4. कुल देवता और सूर्य देव की पूजा करें

  5. एक बार भोजन ग्रहण करें

दूसरा दिन (खरना):

  1. पूरे दिन निर्जला व्रत रखें

  2. शाम को सूर्यास्त के बाद स्नान करें

  3. गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाएं

  4. पहले छठी मैया को भोग लगाएं

  5. प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ें

  6. 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करें

तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य):

  1. दिन भर प्रसाद तैयार करें (ठेकुआ, फल आदि)

  2. चार गन्ने लेकर मंडप बनाएं

  3. बांस की सूप में सभी प्रसाद सजाएं

  4. शाम को घाट पर जाएं

  5. घुटनों तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दें

  6. छठी मैया की पूजा करें और लोकगीत गाएं

चौथा दिन (उषा अर्घ्य):

  1. भोर में घाट पर जाएं

  2. उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें

  3. छठी मैया से परिवार के स्वास्थ्य और सुख की प्रार्थना करें

  4. प्रसाद ग्रहण कर व्रत पारण करें

  5. परिवार और पड़ोसियों में प्रसाद बांटें

छठ पूजा के लाभ और महत्व

छठ पूजा अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। इस पूजा को करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, जीवन में समृद्धि आती है और परिवार में स्वास्थ्य और कल्याण का आशीर्वाद मिलता है।

प्रमुख लाभ:

  • संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य

  • सुख-समृद्धि में वृद्धि

  • मनोकामना की पूर्ति

  • रोगों से मुक्ति

  • पारिवारिक सुख-शांति

  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा

छठ पूजा में कठोर अनुशासन, उपवास, धार्मिक भजन और सूर्य एवं छठी मैया को समर्पित प्रार्थनाएं शामिल होती हैं। यह त्योहार समुदायों को एक साथ लाता है और सामूहिक प्रार्थना में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।

छठ व्रत के नियम और सावधानियां

व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

  • पूर्ण पवित्रता बनाए रखें

  • सात्विक जीवनशैली अपनाएं

  • प्याज, लहसुन, मांसाहार का सेवन न करें

  • नकारात्मक विचारों से दूर रहें

  • नियमित स्नान करें

  • सफाई का विशेष ध्यान रखें

  • व्रत के दौरान जमीन पर सोएं

  • नए कपड़े पहनें

सुरक्षा सावधानियां:

  • घाट पर भीड़ के समय सावधान रहें

  • छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखें

  • पानी में जाते समय सावधानी बरतें

  • स्वास्थ्य समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श लें

छठ पूजा का आधुनिक स्वरूप

आज के समय में छठ पूजा सिर्फ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रही। देश के बड़े शहरों और विदेशों में बसे प्रवासियों के बीच भी यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे महानगरों में भी छठ घाटों पर भव्य आयोजन होते हैं।

यह पर्व प्रकृति संरक्षण, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सामुदायिक एकता का प्रतीक बन गया है। नदियों और तालाबों की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, जो पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है।

निष्कर्ष

छठ पूजा (Chhath Puja) केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का पर्व है। 2025 में 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाया जाने वाला यह महापर्व हमें सूर्य देव की जीवनदायिनी शक्ति का सम्मान करना सिखाता है। नहाय खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक हर रस्म का अपना विशेष महत्व है।

इस वर्ष छठ पूजा की तैयारी समय से शुरू करें, सभी सामग्री व्यवस्थित रखें और पवित्रता के साथ व्रत का पालन करें। छठी मैया की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद बना रहे।

छठ महापर्व की शुभकामनाएं! 

FAQs

1. छठ पूजा 2025 में कब से शुरू होगी?

छठ पूजा 2025 में 25 अक्टूबर (शनिवार) से शुरू होकर 28 अक्टूबर (मंगलवार) तक चलेगी। पहला दिन नहाय-खाय से शुरू होगा।

2. छठ पूजा में मुख्य अर्घ्य कब दिया जाता है?

छठ पूजा में दो बार अर्घ्य दिया जाता है - पहला संध्या अर्घ्य 27 अक्टूबर को शाम लगभग 05:40 बजे डूबते सूर्य को और दूसरा उषा अर्घ्य 28 अक्टूबर को सुबह लगभग 06:30 बजे उगते सूर्य को दिया जाएगा।

3. छठ पूजा के लिए सबसे जरूरी सामग्री क्या है?

छठ पूजा के लिए मुख्य सामग्री में बांस की सूप, ठेकुआ, गुड़ की खीर, फल (विशेषकर केला, नारियल), गन्ना, दीपक, घी, और पूजा सामग्री (कुमकुम, सिंदूर, धूप-अगरबत्ती) शामिल हैं।

4. क्या छठ व्रत केवल महिलाएं ही रख सकती हैं?

नहीं, छठ व्रत पुरुष और महिला दोनों रख सकते हैं। हालांकि परंपरागत रूप से महिलाएं अधिक संख्या में यह व्रत रखती हैं, लेकिन कई पुरुष भी पूरी श्रद्धा के साथ यह व्रत करते हैं।

5. छठ पूजा में खरना का क्या महत्व है?

खरना छठ पूजा का दूसरा और बहुत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। खरना के बाद 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत शुरू होता है, जो उषा अर्घ्य के बाद ही पूर्ण होता है। यह संकल्प और आत्म-अनुशासन का प्रतीक है।

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