Govardhan Puja 2025 celebration with Annakut and Krishna worship
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Govardhan Puja 2025 Date: गोवर्धन पूजा कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

Oct 18, 2025

दिवाली के अगले दिन मनाए जाने वाले गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पावन अवसर है। अगर आप जानना चाहते हैं कि गोवर्धन पूजा कब है (Govardhan Puja Kab Hai) और इसका शुभ मुहूर्त क्या है, तो यह लेख आपके लिए है।

गोवर्धन पूजा 2025 की तारीख | Govardhan Puja 2025 Date

गोवर्धन पूजा 2025 (Govardhan Puja 2025) बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाने वाला पावन पर्व है, जो दिवाली के ठीक अगले दिन आता है।

प्रतिपदा तिथि का समय:

  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 21 अक्टूबर 2025, शाम 05:54 बजे से

  • प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर 2025

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त | Govardhan Puja Muhurat

गोवर्धन पूजा का समय (Govardhan Puja Ka Samay) दो प्रमुख मुहूर्तों में विभाजित है:

1. प्रातःकाल मुहूर्त (Morning Muhurat)

  • समय: सुबह 06:26 बजे से 08:42 बजे तक

  • अवधि: 2 घंटे 16 मिनट

  • यह गोवर्धन पूजा टाइम (Govardhan Puja Time) प्रातःकालीन पूजा के लिए सर्वोत्तम है।

2. सायंकाल मुहूर्त (Evening Muhurat)

  • समय: दोपहर 03:29 बजे से शाम 05:44 बजे तक

  • अवधि: 2 घंटे 16 मिनट

  • सायंकालीन पूजा के लिए यह गोवर्धन पूजा मुहूर्त (Govardhan Puja Muhurat) अत्यंत शुभ माना जाता है।

गोवर्धन पूजा का महत्व | Significance of Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा का महत्व (Significance of Govardhan Puja) अत्यंत गहरा है। इस पर्व से जुड़ी एक पौराणिक कथा है जो भगवान कृष्ण की महानता को दर्शाती है।

पौराणिक कथा:

प्राचीन काल में ब्रज के लोग भगवान इंद्र की पूजा करते थे और उन्हें अच्छी वर्षा के लिए धन्यवाद देते थे। एक बार भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि असली पूजा गोवर्धन पर्वत की होनी चाहिए, क्योंकि यह हमें चारा, जल और रहने के लिए स्थान प्रदान करता है।

जब ब्रजवासियों ने इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा की, तो क्रोधित इंद्र ने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और सात दिनों तक ब्रजवासियों को बारिश से बचाया। इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने क्षमा मांगी।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

  1. प्रकृति पूजा: यह पर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है

  2. गौ सेवा: इस दिन गायों की पूजा की जाती है और उनके महत्व को स्वीकार किया जाता है

  3. अन्न का सम्मान: अन्नकूट भोग द्वारा अन्न के महत्व को समझा जाता है

  4. सामूहिक भावना: यह पर्व समाज में सामूहिकता और एकता को बढ़ावा देता है

गोवर्धन पूजा विधि | Govardhan Puja Vidhi

गोवर्धन पूजा की विधि (Govardhan Puja Vidhi) पारंपरिक और सरल है। इसे घर पर आसानी से किया जा सकता है:

पूजा की तैयारी:

  1. प्रातःकाल स्नान: सुबह तेल लगाकर स्नान करें

  2. गोवर्धन निर्माण: गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं या अन्न से अन्नकूट तैयार करें

  3. पूजा सामग्री: धूप, दीप, पुष्प, फल, मिठाई, खील, बताशे, गंगाजल इकट्ठा करें

पूजा की विधि:

  1. सबसे पहले गाय की पूजा करें और उन्हें भोजन का पहला अंश अर्पित करें

  2. गोबर या अन्न से बने गोवर्धन की स्थापना करें

  3. गोवर्धन पर ओंगा (अपामार्ग) का पौधा रखें

  4. पाद्य, अर्घ्य, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें

  5. गोवर्धन की नाभि में एक कटोरी रखकर दूध, दही, शहद, गंगाजल डालें

  6. गोवर्धन की सात परिक्रमा करें और "जय गोवर्धन" का जाप करें

  7. परिक्रमा के समय एक व्यक्ति जल की धारा गिराए और दूसरा जौ बोए

अन्नकूट का भोग:

अन्नकूट में 56 या 108 प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल, मिठाइयां और पकवान शामिल होते हैं।

गोवर्धन पूजा मंत्र | Govardhan Puja Mantra

गोवर्धन पूजा मंत्र (Govardhan Puja Mantra) का जाप करने से विशेष फल मिलता है:

मुख्य मंत्र:

ॐ गोवर्धनाय नमः

(Om Govardhanay Namah)

गोवर्धन स्तुति:

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव॥

(Govardhan Dharadhar Gokul Tranakarak,

Vishnubahu Kritochhraya Gavam Kotiprado Bhav)

श्री कृष्ण मंत्र:

श्री कृष्णः शरणं मम

(Sri Krishna Sharanam Mama)

पूजा के दौरान इन मंत्रों का 108 बार जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

गोवर्धन पूजा के लाभ और शुभ संकेत

गोवर्धन पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं:

  1. धन-धान्य की वृद्धि: घर में सुख-समृद्धि और धन का आगमन होता है

  2. गो रस की प्राप्ति: गायों की पूजा से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है

  3. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: अतिवृष्टि और अनावृष्टि से बचाव

  4. संतान सुख: संतान की प्राप्ति और उनका कल्याण

  5. आध्यात्मिक उन्नति: भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है

Happy Govardhan Puja 2025

हैप्पी गोवर्धन पूजा (Happy Govardhan Puja) की हार्दिक शुभकामनाएं! यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति सम्मान, गायों की सेवा और अन्न के महत्व की याद दिलाता है।

इस पावन अवसर पर:

  • अपने परिवार और मित्रों को शुभकामनाएं दें

  • गरीबों को भोजन दान करें

  • गायों की सेवा करें

  • प्रकृति संरक्षण का संकल्प लें

आधुनिक समय में गोवर्धन पूजा की प्रासंगिकता

आज के युग में गोवर्धन पूजा पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है। यह हमें सिखाती है कि:

  1. पर्यावरण संरक्षण: प्रकृति के बिना जीवन संभव नहीं है

  2. गौ रक्षा: गायों का संरक्षण महत्वपूर्ण है

  3. अन्न की बर्बादी रोकें: भोजन की बर्बादी रोककर प्रकृतिक आपदाओं से बचा जा सकता है

  4. सामाजिक एकता: सामूहिक पूजा से समाज में एकता बढ़ती है

गोवर्धन पूजा से जुड़ी परंपराएं

विभिन्न क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा की अलग-अलग परंपराएं हैं:

  • उत्तर भारत: गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है

  • गुजरात: इसे बलि प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है

  • महाराष्ट्र: पाडवा या बाली पडयामी के रूप में मनाया जाता है

  • मथुरा-वृंदावन: विशेष अन्नकूट उत्सव आयोजित किया जाता है

निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा 2025 एक पावन और महत्वपूर्ण पर्व है जो हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता, गायों की सेवा और अन्न के सम्मान की शिक्षा देता है। 22 अक्टूबर 2025 को शुभ मुहूर्त में यह पूजा करके आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन कर सकते हैं।

इस पावन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा करें, गायों की सेवा करें और प्रकृति संरक्षण का संकल्प लें। हैप्पी गोवर्धन पूजा!

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

FAQs

1. गोवर्धन पूजा 2025 में कब है?

गोवर्धन पूजा 2025 बुधवार, 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन दिवाली के अगले दिन आती है।

2. गोवर्धन पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त क्या है?

गोवर्धन पूजा के दो शुभ मुहूर्त हैं - प्रातःकाल 06:26 से 08:42 बजे तक और सायंकाल 03:29 से 05:44 बजे तक। दोनों मुहूर्त 2 घंटे 16 मिनट के हैं।

3. गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?

गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने की स्मृति में मनाई जाती है। यह प्रकृति पूजा और गौ सेवा का प्रतीक है।

4. गोवर्धन पूजा में कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

मुख्य मंत्र "ॐ गोवर्धनाय नमः" और "श्री कृष्णः शरणं मम" का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों का 108 बार जाप शुभ फलदायी होता है।

5. गोवर्धन पूजा में अन्नकूट क्या है?

अन्नकूट का अर्थ है अन्न का पर्वत। इसमें 56 या 108 प्रकार के विभिन्न व्यंजन, मिठाइयां, फल और सब्जियां बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। यह अन्न के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है।

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