Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पूजा की सामग्री, संपूर्ण पूजन विधि और कथा
Oct 06, 2025
करवा चौथ (Karwa Chauth) सुहागिन महिलाओं का सबसे महत्वपूर्ण व्रत है। यह पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Chaturthi Tithi) को यह व्रत मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास (Nirjala Upvas) रखती हैं और चंद्रोदय (Chandrodaya) के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ 2025 कब है (Karwachauth 2025 Kab Hai): अगर आप सोच रहे हैं कि करवाचौथ कब है (when is karwachauth), तो यह व्रत 10 अक्टूबर 2025 को है।
करवा चौथ 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2025 Date and Shubh Muhurat)
व्रत की तिथि: 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्टूबर 2025, रात 10:54 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025, शाम 7:38 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat): शाम 5:57 बजे से शाम 7:19 बजे तक
चंद्रोदय का समय (Moonrise Time): रात 8:13 बजे
व्रत का समय: सुबह 6:21 बजे से रात 8:34 बजे तक
करवा चौथ पूजा की सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)
करवा चौथ पूजा (Karwa Chauth Puja) के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है। आप इन्हें बाजार से खरीद सकते हैं या करवा चौथ सामान ऑनलाइन (Karwa Chauth Saman Online / Karwa Chauth Samagri Online) भी मंगवा सकते हैं।
मुख्य पूजन सामग्री:
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मिट्टी का टोंटीदार करवा (Karwa) और ढक्कन
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दीपक, रुई, घी
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पुष्प और माला
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लकड़ी का आसन या चौकी
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छलनी (Chalni)
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पानी का लोटा
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गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
अर्घ्य और भोग सामग्री:
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कच्चा दूध
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शक्कर या मिश्री
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शुद्ध घी
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दही
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गंगाजल
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चंदन
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चावल (अक्षत)
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हलुआ
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आठ पूरियों की अठावरी
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मिठाई
श्रृंगार सामग्री (Shringar Samagri):
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सिंदूर
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मेहंदी (Mehndi)
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महावर
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कंघा
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बिंदी
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चुनरी
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चूड़ियां (Chooriyan)
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कुमकुम और हल्दी
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बिछुआ
अन्य आवश्यक सामग्री:
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मिठाई
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दक्षिणा के लिए पैसे
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फल
करवा चौथ की संपूर्ण पूजन विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)
1. सुबह की तैयारी (सरगी का समय):
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सास या घर की बड़ी बुजुर्ग महिला द्वारा दिए गए सरगी (Sargi) का सेवन करें। सरगी में फल, मिठाई, सेवइयां, मेवे आदि होते हैं। यदि आप पहली करवा चौथ (First Karva Chauth) मना रही हैं तो सास आपको सरगी देंगी, जो इस व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बाद व्रत का संकल्प (Vrat Sankalp) लें:
व्रत संकल्प मंत्र: "मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।"
2. दिन भर का व्रत:
पूरे दिन जल भी ग्रहण नहीं करना है। यह निर्जला व्रत होता है। दिन भर शिव-पार्वती का स्मरण करें।
3. शाम की पूजा की तैयारी:
शाम को स्नान करके सोलह श्रृंगार करें। लाल या गुलाबी रंग की साड़ी पहनें। हाथों में मेहंदी लगाएं।
4. पूजा स्थल की तैयारी:
पूजा के लिए एक साफ स्थान पर चौकी या लकड़ी का आसन रखें। इस पर सफेद कपड़ा बिछाएं। अब निम्नलिखित देवी-देवताओं की स्थापना करें:
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भगवान शिव (Lord Shiva)
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माता पार्वती (Maa Parvati)
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गणेश जी (Ganesh Ji)
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कार्तिकेय स्वामी
5. पूजन विधि:
क) कलश स्थापना: एक लोटे में जल भरें और उसमें आम के पत्ते रखें। ऊपर नारियल रखें।
ख) देवी-देवताओं की पूजा: सभी देवी-देवताओं को चंदन, अक्षत, फूल, धूप-दीप से पूजा करें।
निम्न मंत्रों का जाप करें:
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'ॐ शिवायै नमः' (माता पार्वती की पूजा)
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'ॐ नमः शिवाय' (भगवान शिव की पूजा)
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'ॐ गणेशाय नमः' (गणेश जी की पूजा)
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'ॐ षण्मुखाय नमः' (कार्तिकेय की पूजा)
ग) करवा की पूजा: करवे में जल, दूध और चावल भरें। इसे दीपक, अगरबत्ती और फूलों से सजाएं। करवे की पूजा करें और उस पर चुनरी चढ़ाएं।
घ) गौरी माता का श्रृंगार: माता पार्वती की मूर्ति का सुहाग सामग्री से श्रृंगार करें। बिंदी, सिंदूर, चूड़ियां आदि अर्पित करें।
6. करवा चौथ कथा का पाठ:
पूजा के बाद करवा चौथ की कथा (Karwa Chauth Katha) सुनना अत्यंत आवश्यक है। आप इसे किसी बुजुर्ग से सुन सकती हैं या स्वयं पढ़ सकती हैं।
7. चंद्रमा को अर्घ्य (Arghya):
चंद्रोदय के समय छत या खुली जगह पर जाएं। छलनी से चंद्रमा को देखें। फिर करवे में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
अर्घ्य मंत्र: "करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥"
8. व्रत खोलना (Vrat Paaran):
चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपने पति के हाथों से पहले जल और फिर भोजन ग्रहण करें। पति भी अपनी पत्नी को प्रेम से भोजन कराते हैं।
करवा चौथ की प्रसिद्ध कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)
करवा और उसके पति की कथा:
प्राचीन काल में करवा नाम की एक सती-साध्वी स्त्री थी। उसका पति नदी में स्नान करने गया। वहां एक मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया। करवा ने तुरंत मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया और यमराज से जाकर कहा कि मगरमच्छ को नरक भेज दें।
यमराज ने मना कर दिया तो करवा ने उन्हें श्राप देने की बात कही। यमराज ने जब करवा के सतीत्व और पतिव्रता धर्म की महिमा देखी तो उन्होंने मगरमच्छ को नरक भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया। इसी दिन से करवा चौथ का व्रत प्रारंभ हुआ।
वीरवती और सात भाइयों की कथा:
एक राजा की सात बेटियां थीं। छोटी बेटी वीरवती अपने भाइयों को बहुत प्यारी थी। विवाह के बाद उसने पहली बार ससुराल में करवा चौथ का व्रत रखा। शाम को जब चंद्रमा नहीं निकला तो उसे बहुत भूख-प्यास लगी।
भाइयों ने बहन की यह हालत देखी तो उन्होंने छलनी में दीपक रखकर एक पेड़ पर रख दिया और बहन से कहा कि चांद निकल आया है। वीरवती ने व्रत खोल दिया। जैसे ही उसने खाना खाया, खबर आई कि उसके पति की मृत्यु हो गई।
वीरवती रोती-बिलखती रही। उसी समय साक्षात् माता पार्वती ने प्रकट होकर सच्चाई बताई और कहा कि अगले करवा चौथ पर पूरे विधि-विधान से व्रत करने पर उसके पति को जीवन मिलेगा। वीरवती ने वैसा ही किया और उसके पति को पुनर्जीवन मिला। तभी से करवा चौथ के व्रत को अटूट माना जाता है।
करवा चौथ व्रत का महत्व (Karwa Chauth Vrat Ka Mahatva)
करवा चौथ व्रत पति-पत्नी के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह व्रत केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि सुहागिनों की आस्था और समर्पण का पर्व है। इस दिन:
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पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है
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दांपत्य जीवन में प्रेम और सुख-शांति बनी रहती है
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माता पार्वती और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है
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परिवार में सुख-समृद्धि आती है
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो स्त्री पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा से यह व्रत करती है, उसके पति को दीर्घायु प्राप्त होती है।
करवा चौथ के दिन क्या करें और क्या न करें
करें:
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पूरी श्रद्धा और विश्वास से व्रत रखें
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सोलह श्रृंगार करें
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पूजा विधि को ध्यानपूर्वक करें
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कथा अवश्य सुनें
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सास को दक्षिणा और उपहार दें
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दूसरी सुहागिनों को भी पूजा सामग्री बांटें
न करें:
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व्रत के दौरान क्रोध न करें
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किसी से झगड़ा न करें
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नकारात्मक विचार न रखें
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व्रत के नियमों को न तोड़ें
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काले रंग के कपड़े न पहनें
करवा चौथ (Karwa Chauth) सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर सुहाग की रक्षा होती है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस वर्ष 10 अक्टूबर 2025 को करवा चौथ का व्रत पूर्ण विधि से करें और माता पार्वती तथा भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें। सभी सुहागिनों को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं!
Karwa Chauth FAQs
प्रश्न 1: करवा चौथ 2025 में किस तारीख को है?
उत्तर: करवा चौथ 2025 में 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर शाम 7:38 बजे तक रहेगी।
प्रश्न 2: करवा चौथ का व्रत कितने बजे खोलना चाहिए?
उत्तर: करवा चौथ का व्रत चंद्रोदय के बाद ही खोलना चाहिए। 2025 में चंद्रोदय का समय रात 8:13 बजे से 8:34 बजे के बीच है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से जल पीकर व्रत खोलें।
प्रश्न 3: क्या करवा चौथ में पानी भी नहीं पीना चाहिए?
उत्तर: हां, करवा चौथ निर्जला व्रत है। इसमें सूर्योदय से चंद्रोदय तक पानी भी नहीं पीना चाहिए। हालांकि, अगर किसी को स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो वह डॉक्टर की सलाह से पानी पी सकती हैं।
प्रश्न 4: करवा चौथ की पूजा में कौन से देवी-देवता की पूजा की जाती है?
उत्तर: करवा चौथ की पूजा में भगवान शिव, माता पार्वती (गौरी माता), गणेश जी, कार्तिकेय स्वामी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। साथ ही करवा माता की भी पूजा की जाती है।
प्रश्न 5: अगर बादल होने से चांद न दिखे तो क्या करें?
उत्तर: अगर बादलों के कारण चांद नहीं दिखता है तो चंद्रोदय के समय के अनुसार, आप छलनी को आकाश की ओर दिखाकर अर्घ्य दे सकती हैं। मान्यता है कि चांद होता है, भले ही वह दिखाई न दे। इसके बाद व्रत खोल सकती हैं।