क्या आपने कभी सोचा है हमारे हिन्दू धर्म में इतने सारे त्योहार और व्रत क्यों मनाए जाते हैं? हर त्योहार और हर व्रत के पीछे एक गहरी कहानी और महत्व छिपा होता है। आइए जानते हैं ऐसे ही एक व्रत के बारे में जो अपरा व्रत के नाम से जाना जाता है।
अपरा एकादशी व्रत हमारे प्राचीन धर्म का एक अमूल्य हिस्सा है। यह केवल भूखे रहने का दिन नहीं है बल्कि आत्मा शुद्धि, आत्मदर्शन और भगवान से जुड़ने का एक माध्यम है। यह व्रत हमें सिखाता है कि हम अपने मन और शरीर पर नियंत्रण कैसे रखें, और कैसे अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाएं।
जानिए इस पवित्र दिन के बारे में विस्तार से, ताकि आप भी इसका महत्व समझ सके और अपने परिवार के साथ इसे मना सके।
अपरा एकादशी का महत्व (Significance Of Apara Ekadashi)
अपरा एकादशी हिन्दू कैलेंडर के ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। इसे ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी भी कहते हैं। यह एकादशी बहुत ही खास होती है क्योंकि इसका संबंध सीधा भगवान विष्णु से है।
अपरा का मतलब होता है “असामान्य” या “खास” जो दिखाता है कि यह दिन कितना पावन है। हिन्दू धर्म में माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से पाप मिट जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
अपरा एकादशी व्रत कथा (Apara Ekadashi Story)
अपरा एकादशी Apara Ekadashi की एक बहुत प्रसिद्ध कथा है। बहुत समय पहले मांडता नामक एक राजा हुआ करते थे। उनके राज्य में 3 साल तक बारिश नहीं हुई थी। चारों तरफ सूखा पड़ गया था। पौधे मर रहे थे, जानवर भूखे थे, और लोग बहुत दुखी थे।
राजा ने महर्षि वशिष्ठ से मदद मांगी। महर्षि ने उन्हें अपरा एकादशी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि राजा और उनकी प्रजा अगर सच्चे मन से अपरा एकादशी का व्रत करेंगे, तो भगवान विष्णु प्रसन्न होकर बारिश भेजेंगे।
राजा और उनकी प्रजा ने यही किया। उन्होंने और उनकी सारी प्रजा ने अपरा एकादशी का व्रत रखा, पूजा की, और अच्छे कर्म किए। भगवान विष्णु सच में खुश हो गए। जल्द ही आसमान में काले बादल छा गए, और खूब बारिश हुई। पौधे फिर से हरे भरे हो गए, जानवरों को खाना मिलने लगा और लोग भी खुश हो गए।
उस दिन से लोग अपरा एकादशी का व्रत रखते हैं ताकि उन्हें आशीर्वाद मिले और ज़िन्दगी से मुसीबतें दूर हों।
अपरा एकादशी पूजा विधि
अपरा एकादशी की पूजा करने के लिए ये करें:
- सुबह जल्दी उठें
- ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 4-5 बजे उठकर स्नान कर लें।
- व्रत शुरू करने से पहले संकल्प लें कि आप पूरे दिन व्रत रखेंगे और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे।
पूजा का सामान
पूजा के लिए ये सामान तैयार करें:
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भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र
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ताजे फूल
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चंदन
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रोली
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चावल
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दिए और घी
- धूप
- अगरबत्ती
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प्रसाद - फल, मिश्री, इत्यादि।
पूजा प्रक्रिया
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भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाएं
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तुलसी पत्र, फूल और चंदन चढ़ाएं
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भगवान के 108 नाम का जाप करें
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विष्णुसहस्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें
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भजन गायें या सुनें
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प्रसाद चढ़ाएं
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कथा सुनें
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अपरा एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें
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रात को जागरण
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अगर हो सके तो रात भर जागरण करें और भजन गायें
अपरा एकादशी का व्रत कैसे रखें
व्रत का नियम:
एकादशी के दिन सुबह से लेकर अगले दिन सुबह तक कुछ न खाएं। अगर पूरा व्रत नहीं रख सकते हैं तो एक बार फलाहार कर सकते हैं।
व्रत में परहेज़:
व्रत के दौरान इन चीजों से परहेज़ रखें:
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अनाज
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दाल
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प्याज़-लहसुन
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नॉन वेज
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शराब
क्या खा सकते हैं:
व्रत में ये खा सकते हैं:
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फल
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दूध
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साबूदाना
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आलू
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सिंघाड़ा आटा
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कुट्टू का आटा
अपरा एकादशी परण समय
पारण मतलब है व्रत तोड़ना। अपरा एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में ही तोड़ना चाहिए, एकादशी तिथि खत्म होने के बाद। पारण समय अलग-अलग जगह और साल में अलग हो सकता है, लेकिन आमतौर पर ये द्वादशी तिथि के प्रथम चौथ में होता है।
पारण से पहले तुलसी पत्र के साथ जल भगवान विष्णु को अर्पण करें। उसके बाद पूजा करें और फिर भोजन ग्रहण करें। हमेशा द्वादशी तिथि शुरू होने के बाद ही व्रत तोड़ें। अगर द्वादशी तिथि सुबह जल्दी शुरू हो जाती है, तो उसके बाद ही पारण करें। अगर आपको समय जानना हो तो पंचांग देखें या किसी पंडित से संपर्क करें।
अपरा एकादशी से मिलने वाले लाभ (Benefits of Apara Ekadashi)
यह मान्यता है कि अपरा एकादशी का व्रत करने से:
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पाप कट जाते हैं
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इच्छाएं पूरी होती हैं
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सौभाग्य मिलता है
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स्वास्थ्य अच्छा रहता है
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मन को शांति मिलती है
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मोक्ष की प्राप्ति में मदद मिलती है
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भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है
- बच्चों के लिए अपरा एकादशी
बच्चे अपरा एकादशी में हिस्सा ले सकते हैं:
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व्रत रखना ज़रूरी नहीं है, बस हल्का खाना खा सकते हैं
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पूजा कर सकते हैं
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भगवान विष्णु की कहानियां सुन सकते हैं
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दिन भर अच्छे काम कर सकते हैं
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अपने संस्कृति और परंपरा के बारे में सीख सकते हैं
- अपरा एकादशी की सरल प्रार्थना (Prayers of Apara Ekadashi)
“हे भगवान विष्णु, इस खास अपरा एकादशी के दिन मैं आपको अपनी प्रार्थना अर्पण करता/करती हूं। कृपया मेरी भक्ति और व्रत को स्वीकार करें। मुझे एक बेहतर इंसान बनने में मदद करें। मेरे परिवार और दोस्तों को आशीर्वाद दें। हमेशा मुझे सही राह दिखाएं।”
वैष्णव धर्म में एकादशी का विशेष महत्व
वैष्णव धर्म में एकादशी को बहुत खास माना जाता है। हर महीने दो बार एकादशी आती है—कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। हर एकादशी का अपना अलग महत्व और मतलब होता है।
अपरा एकादशी में ध्यान रखने योग्य कुछ बातें
अगर आप पहली बार अपरा एकादशी का व्रत रख रहे हैं, तो ये बातें ज़रूर ध्यान में रखें:
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समय समय पर पानी पीते रहें
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ध्यान और प्राणायाम करें
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नेगेटिविटी से दूर रहें
- अगर संभव हो तो परिवार के साथ व्रत रखें
अपरा एकादशी सिर्फ एक दिन का व्रत नहीं है। यह दिन हमें सिखाता है कि कैसे आत्मनियंत्रण, दया, और विश्वास से हम अपने आप को बेहतर बना सकते हैं। यह हमारी संस्कृति का एक सुंदर हिस्सा है जो हमें याद दिलाता है कि मुश्किल वक्त में भी आशा नहीं छोड़नी चाहिए।
चाहे आप इस दिन को मानें या ना मानें, हम सब इसकी सीख से कुछ ना कुछ ज़रूर सीख सकते हैं।
जय श्री विष्णु।